Tuesday, December 23, 2014

चलो बात करो !!

सब यहां दुख़ी है साले
खुश रेहेनेका बस ढोंग है करते!
मन में एक बात है छुपी,
जो खाये जा रही है अंदर ही अंदर..
नहीं! उसे बयान नहीं करेंगे लेकीन!
अभिमान जो हमारी टांग अडाता है!

प्यार करते हो, याद करते हो, तो बताते क्यूँ नहीं?
प्रेम तुम्हारा जताते क्यूँ नहीं?
है भी कोई अनबन तो उसे मिटाओ...
उलझे हुए रिश्तों को सुलझाओ!

जिंदगी इतनी छोटी है की
कब गुजर जाएगी पता भी न चलेगा
और तूम फिर भी वहीं पाओगे खुद को
उसी मोड़ पर!! मकड़ी के जाल में फसें हुए!!
रिश्तो को सुलझाने में नाकामयाब!!
.
.
.
नहीं चाहते हो ये अगर,
तो फिर उठो! चलो बात करो!!

- रसिका

No comments:

Post a Comment