ना बनाओ अपने दिल को शीशेसा नाज़ुक यारों....
पाओगे उसे टूटा हूआ गम की एकही लकीर से.......
नाहीं बनाओ उसे पत्थर जैसा सख़्त,
जिसतक जसबाद पोहोच ही ना सके...
बनाओ उसे शंख जैसा ज़िंदादील और गेहेरा,
अगर कोई साद दे तो प्रतिसाद दे सके;
और कोई ध्यान से सुननेवाला मिलें, तो अपने गेहेरे राज़ खोल सके....
- रसिका
पाओगे उसे टूटा हूआ गम की एकही लकीर से.......
नाहीं बनाओ उसे पत्थर जैसा सख़्त,
जिसतक जसबाद पोहोच ही ना सके...
बनाओ उसे शंख जैसा ज़िंदादील और गेहेरा,
अगर कोई साद दे तो प्रतिसाद दे सके;
और कोई ध्यान से सुननेवाला मिलें, तो अपने गेहेरे राज़ खोल सके....
- रसिका
No comments:
Post a Comment