जब मैने भरोसा रखा दुनियापर, पुरानी मान्यताओंका नकाब हटाकर,
समझ आया की इंसानियत है सबकी खरी जात और है मझहब भी...
आदर, प्रेम, सम्मान तो सब मैं है समान... फर्क हैं तो सिर्फ रेहेन सेहेन, रिवाज और आदर्शों में ..
और फिर अंजाने लोगोंमेंभी मैने महफ़ूज़ मेहेसुस किया...
- रसिका
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